कभी तुम झगड़ती हो, तो कभी रुठ जाती हो।
फिर कभी चाय का कप लेकर, मुझे मनाती हो।
पल-पल गुजरती जिन्दगी, रेत सी फिसलती जाती है।
ओर तुम सारा दिन, मकां को घर बनाती हो।
न जाने किन किन से, कितने रिश्ते निभातीं हो, मुझको भी सामाजिक दायित्व सिखाती हो।
तुम्हारे जन्मदिन पर, ढेर सारी शुभकामनाएं।