लडकियों की पथप्रदर्शिका थी जो
घर से निकल पाठशाला का रूख करवायी थी जो
पति ज्योतिबा संग शिक्षा की अलख जगाने चली थीं जो
तमाम बाधाओं पे पार पाते हुए,
पहली पाठशाला बालिकाओं की खोली थी जो
“खूब पढो” सिखाने वाली, सावित्री बाई फूले थी वो
लडकियों की पथप्रदर्शिका थी जो
घर से निकल पाठशाला का रूख करवायी थी जो
पति ज्योतिबा संग शिक्षा की अलख जगाने चली थीं जो
तमाम बाधाओं पे पार पाते हुए,
पहली पाठशाला बालिकाओं की खोली थी जो
“खूब पढो” सिखाने वाली, सावित्री बाई फूले थी वो