परख Rishi Kumar 4 years ago तेरे प्यार का दर्पण हूं, मुझे पर रखना छोड़ दे| कब तक सताएगी तू मुझे, अब मुझे परखना छोड़ दे|(1) इश्क किया हूं कोई गुनाह नहीं तुझे चाहा हूं क्या विश्वास नहीं| आ गले लगा जा फिर से मेरे, मत परख अब समय नहीं|(2)