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परख

तेरे प्यार का दर्पण हूं,
मुझे पर रखना छोड़ दे|
कब तक सताएगी तू मुझे,
अब मुझे परखना छोड़ दे|(1)

इश्क किया हूं कोई गुनाह नहीं
तुझे चाहा हूं क्या विश्वास नहीं|
आ गले लगा जा फिर से मेरे,
मत परख अब समय नहीं|(2)

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