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परछाइयाँ

बज़्म ए महफ़िल में तेरी घूमते मिलेंगे,
थक जायेगें जो तेरी तस्वीर चूमते मिलेंगे,

तू एक फूल है साथ रहे जब तक अच्छा है,
वो गैरमौजूदगी में तेरी खुशबू सूँघते मिलेंगे,

रातभर सोते रहेंगे जो तेरी ख्वाबो हवाओं में,
वो दिन की रोशनाई में भी तेरी ऊँगते मिलेंगे,

भरी हुई थाली में अक्सर छोड़ देते हैं जो दाने,
अक्ल आएगी जब तेरी उँगलियाँ टूंगते मिलेंगे,

बेघर करे जाएंगे जिस दिन याद आएगा घर,
सड़कों पे घूमने वाले तेरी चौखट घूमते मिलेंगे,

खुद से खुद को पहचानने में अंजान है राही,
लोग जल्द ही तेरी परछाइयों को ढूंढते मिलेंगे।।

राही अंजाना

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