चोट दूजे को लगी हो
आपको यदि दर्द हो
तब समझना आप
सचमुच में भले इंसान हो।
आजकल सब को है मतलब
बस स्वयं के दर्द से
औऱ का भी दर्द देखे
यह मनुज का फर्ज है।
फर्ज अपना भूलकर हम
बस स्वयं में मुग्ध हैं
चाहना खुद जा भला ही
आजकल का मर्ज है।
वे हैं विरले जो स्वयं के
साथ परहित देखते हैं,
खुद के अर्जन से गरीबों का
भला भी सोचते हैं।