देख-देख कर,
आज के युवा-वर्ग को
सोचता है मन मेरा,
क्या कमी है देश में मेरे
जा बैठे दूर इतनी,
एक पराई धरा
कभी तो याद आती होगी,
स्वदेश की
कभी तो मन मचलता होगा,
निज देश आने को
फ़िर क्या है,
जो रोकता उन्हें
ना समझ पाया,
बावरा मन मेरा..
*****✍️गीता