ये विलासिता, वैभवता व भौतिकता की पराकाष्ठा।
ये क्षणिक सुविधाएं प्राप्त होती, करने से थोड़ी चेष्टा।
परंतु छू सकते हैं, गगन की ऊंचाई मात्र ही नहीं,
सुदूर क्षितिज भी, गर मन में हो दृढ़ आत्मनिष्ठा।
मोह, छल, आलस्य त्याग जो करे अथक परिश्रम,
वो ही प्राप्त कर सकता है, संसार में उच्च पद प्रतिष्ठा।
देवेश साखरे ‘देव’