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पराया

कुछ अपने अपनों को ही पराया कहने लगे,
दिल को धड़कन का मानो साया कहने लगे।।

जो गवांते रहे घर का हर इक कोना रात दिन,
गैरों की महफ़िल में ही सब कमाया कहने लगे।।

हर कदम पर साथ साथ चलने वाले भी देखो,
आज संग बीते हुए वक्त कोही ज़ाया कहने लगे।।

राही अंजाना

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