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परिन्दा कैद से छूटा नही है

परिन्दा कैद से छूटा नही है
छुडाने कोई भी आता नही है

बहुत खामोश है दरिया के जैसे
बहुत बेचैन है कहता नही है

दिवाना बन गया है प्यार में वो
वो लड़ता है मगर वैसा नही है

बनाया है उसे पागल जिन्होनें
वही अब कह रहे अच्छा नही है

सभी लड़ रहा है ठीक है पर
कोई कहदे कि वो ऐसा नही है

नसीहत वक्त ने क्या खूब दी है
करो वो काम जो दिखता नही है

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