परिस्थियों के एक जाले में बचपन बुना दिखता है,
लकड़ी के फट्टे जैसा ये जीवन घुना दिखता है,
लेखनी पकड़ने वाले हाथों का किस्सा ऐसा,
मानो हर क्षण खुशियों का ईंटों से चुना दिखता है।।
राही (अंजाना)
परिस्थियों के एक जाले में बचपन बुना दिखता है,
लकड़ी के फट्टे जैसा ये जीवन घुना दिखता है,
लेखनी पकड़ने वाले हाथों का किस्सा ऐसा,
मानो हर क्षण खुशियों का ईंटों से चुना दिखता है।।
राही (अंजाना)