घर अँधेरे में अब ना किसी का रहे ।
चार सू रंग यूँ रौशनी का रहे ।
जगमगायें यहाँ सब महल झोपड़ी
पर्व सबका ये दीपावली का रहे ।
घर ,मुहल्ले ,शहर खिल उठें प्यार से ,
हर तरफ सिलसिला दोस्ती का रहे ।
आओ दें एक दूजे को शुभकामना ,
दौर सबके लिए उन्नती का रहे ।
ऐसी दीवाली हो अब दुआ कीजिये ,
सबके दिल में तसव्वुर ख़ुशी का रहे ।
नीरज मिश्रा