ख्वाबों ख्यालों में किसी का कोई पहरा नज़र नहीं आता,
जो नज़र में आता तो उसका कोई चहरा नज़र नहीं आता,
घूमती गुमराह सी नज़र आती हैं जो खामोश राहें हमको,
उन राहों पे ढूंढ़े से दूर तलक कोई ठहरा नज़र नहीं आता,
राही अंजाना
ख्वाबों ख्यालों में किसी का कोई पहरा नज़र नहीं आता,
जो नज़र में आता तो उसका कोई चहरा नज़र नहीं आता,
घूमती गुमराह सी नज़र आती हैं जो खामोश राहें हमको,
उन राहों पे ढूंढ़े से दूर तलक कोई ठहरा नज़र नहीं आता,
राही अंजाना