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पहला प्यार

पहला प्यार

सुनते ही

उछल पड़ता है

ख्यालों का असीम समन्दर

पर समझ न आता क्या लिखूं

बस तुम वैसे ही थे

जैसे खिल उठता है

सूरज को देख

सूरजमुखी का चेहरा,

वैसे ही जैसे

खिल उठता है

पहली बारिश को देख

किसान का झुर्री वाला चेहरा भी।

वैसे ही जैसे,

जैसे पहली बून्द

समन्दर में पड़ते ही

मुस्कुरा पड़ता है

मोती!

वैसे ही जैसे

बच्चे का पहला शब्द

सुन माँ विह्वल हो उठती है

वैसे ही जैसे

ओस के स्पर्श से

खिल उठती है

विरह में झुलसी घास!

वैसे ही जैसे

मिठाई देख

चहक उठता है मधुमेह रोगी!

वैसे ही जैसे

मरते हुए को मिल जाएँ

कुछ और साँसे

जिनमे वह जी सके।

बस ये हो तुम।

सब कुछ हो तुम।

@@सरगम@@


 

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