सुबह सुबह की
गरम चाय हो तुम
आलस्य छोड़ने में
सहाय हो तुम,
खुद ही बुनता रहा
उधेड़ रहा,
उलझी बातों में
मेरी राय हो तुम।
जिन्दगी को जरूरी
मुहब्बत हो तुम
दिल में राज करती
हुकूमत हो तुम।
कुछ कर सकने की
कूबत हो तुम,
पहली से भी पहली
जरूरत हो तुम।