शायद इस पहली बारिश में कल वो भी मेरी तरह नहाया होगा,,
कामकाजी दौर में धुंधला चुकी कुछ यादो को यादकर वो भी मुसकराया होगा।।
हम उस वक्त बस ऐसे ही घास पर लेटे हुए थे,,
ख़ामोश पड़े उस मंजर में नजरो से बोल रहे थे!!
अचानक शरारती बादल गरजकर बरसने लग गए थे,,
सिर्फ भीगने से बचने खातिर हम भाग खड़े हुए थे!!
भागते भागते जब तुम्हारा पैर अचानक मुड गया था,,
तब तुम्हे थामते- थामते मैं खुद नीचे गिर गया था!!
तुम उस वक़्त कितनी खिल- खिलाकर हँस पड़ी थी,,
I’m sorry– I’m sorry बोलते-बोलते बार-बार हँसे जा रही थी!!
मालूम नहीं हँसते-हँसते कब तुमने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया था!!
मेरा तुम्हारा पहला स्पर्श,, हाए!! कितना कोमल और नरम हाथ था!!
फिर हम ऐसे ही हाथो में हाथ डाले उस बारिश में धीरे धीरे चल दिए थे,,
बातो ही बातो में ना जाने कब मैं बाबू और तुम बेबी ना जाने कब बन गए थे!!
हमने उस बारिश को पहली बार बांहे फैलाए महसूस किया था,,
पहली बारिश में ऐसे पहली बार भीगना मन को बहुत भा रहा था!!
सावन तो हर बार ऐसे ही बरसता था,,
मगर इस तरह पहली बार बरसा था!!
भीगकर उन भीगे हुए हसीं लम्हों में खुद को फिर उसने खुद की ही साँसों से सुखाया होगा,,
कामकाजी दौर में धुंधला चुकी उन यादो को यादकर वो भी मुसकराया होगा।।