प्रेम कहानी की शुरुआत जब हुई
किस्तों में सही पर बात दिन रात हुई
आंखों की नींद जाने कहां गुम हो गई
अपनी भी खबर नहीं जब पास वह हुई।
बिस्तर पर करवटें बदलते ही रहते हैं
अनचाही से राह पर चलते ही रहते हैं
अपनों से दुश्मनी भी अच्छी लगती है
दिल के किसी कोने में वह खास जब हुई ।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज