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पहले शख्स

तुम पहले शख्स हो –

जिसे मैंने अपना हमराज बनाया है,

अपना हाले दिल सुनाया है,

वरना मुझे किसी पर एतबार नहीं .

तुम गैर मानुस हो अभी-

फिर भी लगता है बरसो से जानता हूँ तुम्हे,

पहली मर्तबा किसी को दोस्त कहा ,

वरना मेरा कोई यार नहीं .

गुबार ए जज्बात बिखेर कर तुम पर-

बहुत हल्का महसूस कर रहा हूँ खुद को ,

आज बैठ  कर तुम्हारे साथ दो घूंट पीऊंगा मै,

वरना मुझे जाम से प्यार नहीं .

–अनिल कुमार भ्रमर –

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