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पाण्डव सा धैर्य धर्म मे संवरिए

? गजल ?

पाण्डव सा धैर्य धर्म मे संवरिए
कौरव सा न अधम॔ मे संघरिए
सांसारिक खुशी चाह के लिखे
बेईमानी का न दामन धरिए
सत्य सच्चाई संसार का है सुख
निज को पहचान खुद निखरिए
स्वयं की मेहनत मे है भविष्य
कम॔ पूजा की सार्थकता पसारिए
अपने पथ-माग॔ खुद तय करना है
आत्मविश्वास से स्वंय को परखिए
तुम्हारी पहचान तुम्ही से ही है
स्वंय को जान सत्य का संग धरिए
श्याम दास महंत
घरघोडा
जिला-रायगढ (छग )

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