लता-बेल -सी माता होती,
होते पिता बटवृक्ष महान।
ठंढी मीठी सघन छांव में
पलते जिनके सब संतान।।
देकर जन्म ब्रह्मा कहलाए
पालन कर बिष्णु बन जाए।
हरण करे अज्ञान तिमिर
संहारक रुद्र रूप बड़ भाए।।
शोणित – श्वेद बहा – बहाकर
निज बच्चों को पोषा -पाला।
लाड़ लड़ाया दिल में रखकर
पाया प्यार कोई किस्मत वाला।।
चढ़कर कांधे जिनके ऊपर
दुनिया सब कोई देखा है।
‘विनयचंद ‘ वो ईश रूप में
संतानों की जीवन रेखा है।।