पिता वह दरख्ता है
जिसकी छांव में रहकर
नन्हे-मुन्ने पौधे भी जीवित रहते हैं और थके हारे राहगीर उसकी ठंडी छांव में आराम पाते हैं ।।
पिता वह दरख्ता है
जिसकी छांव में रहकर
नन्हे-मुन्ने पौधे भी जीवित रहते हैं और थके हारे राहगीर उसकी ठंडी छांव में आराम पाते हैं ।।