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पिया मिलन

नहीं भुलाई जाती वो
पिया मिलन की रात
उस रोज पहली बार की
हमने आंखों से बात
सुहाग सेज के फूलों ने
जाने कैसा जादू किया
बेचैन निगाहों में है
बस उन्हीं का इंतजार
जो आज हद चाहत की
कर जाएंगे पार
वह मेरे इतने करीब थे
कि सांसे टकरा रही थी
मेरी पलके झुकती
बस झुकती ही जा रही थी
सूरज की पहली किरण ने
जब खिड़की से झांका
तब हमने जाना गुजर चुके हैं
जिंदगी के हसीन लम्हात
नहीं बुलाई जाती वो
पिया मिलन की रात
उस रोज पहली बार कि
हमने आंखों से बात न
हीं भुलाई जाती
वो पिया मिलन की रात।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज

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