Site icon Saavan

पुलवामा

देख के जी कांप उठा
पुलवामा की राह को
बोलो कौन थाम पाएँ
बेसहारा बाह को
त्रिनेत्र खोल बैठे
तेरी ओछी चाल पे
भाग काल नाचता है
तेरे अब कपाल पे
ब्याह नहीं मेरा देश है पहले
माना तेरे पैहरे को
गोदी में आ लेटा लाडला
पहन तिरंगी सहरे को
अपने सुत को अग्नि देता
पिता की छाती फटती है
जिसको अपने खून से सींचा
वो धरती कभी बटती है
क्रोध में धरती कांप रही थी
रक्त नयन की आंखों से
भूलते कैसे अग्नि दी है
हमने नन्हे हाथों से
रोकें से भी रुकते ना थे
असु निरंतर आंखों से
पिता याद में रोए लाडली
बातें करती रखो से
अफसोस नहीं आक्रोश बनाया
आतंक के षड्यंत्र से
देख दुश्मन कांप उठा
क्रोध के प्रचंड से
आतंकी तेरे घर में मारे
ये गौरव की बात है
तुझको मुट्ठी बांध के दे दे
कश्मीर कोई खैरात है
कुछ पल में ही ध्वस्त कर दिया
तेरे नए अरमानों को
घंटो तूने पकड़ा योद्धा
चलाना सिखा विमानों को
युद्ध बंदी बना के रख लूं
सोचा अभिनंदन को
ऐसा कोई देश नहीं जो
बांध ले भारतीय नंदन को
बड़ा इठलाता था तू
आतंक की पिटारी पे
नष्ट करके सूर लोटा
देख ले अटारी पे
मासूमों को मार रहा तू
आज की तस्वीर है
भारत हाथो नष्ट होना
अब तेरी तकदीर है

Exit mobile version