पैरों की अपने वो झुर्रियां छुपा लेता है,
चेहरे पर झूठी वो हंसी सजा लेता है,
बनाने को किस्मत की लकीरें बच्चों की,
पिता हाथों की अपने लकीरें मिटा लेता है।।
राही (अंजाना)
पैरों की अपने वो झुर्रियां छुपा लेता है,
चेहरे पर झूठी वो हंसी सजा लेता है,
बनाने को किस्मत की लकीरें बच्चों की,
पिता हाथों की अपने लकीरें मिटा लेता है।।
राही (अंजाना)