पैसे की चाहत ने ॥
मन तो मेरा कोमल था ॥
तेरी चाहत ने खुदगरज बना दिया ॥
हर रिश्ता अपना सा था ॥
बेगाना बना दिया ॥
शान्ति,नीद अपनी थी ॥
पर बीमारी के सग जीना सीखा दिया।
अकेला हूँ आज हर अहसास से ॥
तेरी चाहत ने अहपाईज बना दिया ॥
रेनुका गोयल ॥
पैसे की चाहत ने ॥
मन तो मेरा कोमल था ॥
तेरी चाहत ने खुदगरज बना दिया ॥
हर रिश्ता अपना सा था ॥
बेगाना बना दिया ॥
शान्ति,नीद अपनी थी ॥
पर बीमारी के सग जीना सीखा दिया।
अकेला हूँ आज हर अहसास से ॥
तेरी चाहत ने अहपाईज बना दिया ॥
रेनुका गोयल ॥