बाबूजी का वो लाड़ भरा धमकाता बचपन,
है याद मुझे अक्सर आ जाता प्यारा बचपन।
खरगोशों के संग दौड़
कुलाचे भरता बचपन,
तोते चिड़ियों की नकल भरा बातूनी बचपन।
उस प्यारे से बचपन में था बस एक खटोला,
जिसके झोटों के संग तैरता था बच्चों का टोला।
इप्पी- दुप्पी लुक्का छिप्पी गेंद ताड़ी,
साइकिल पर गोल-गोल घूमती थी बच्चों की सवारी।
चांद तारों भरी छत पर तारे देखा करते,
चारपाई का जमघट,
आकाश में कलाकृतियां ढूंढा करते।
था लाड़ दुलार भरा मीठा सा प्यारा बचपन,
है याद मुझे आता है बहुत प्यारा बचपन।
निमिषा सिंघल