डांटती भी,दुलराती भी।
झीकती भी, मुस्काती भी।
दिन भर ताना -बाना बुनती,
काम में दिनभर उलझी रहती।
कढ़ाई में जब छुन -छुन करती
गीत कोई तब गुन-गुन करती।
शब्दों के तीर छोडा करती,
तीखे नयनों से गुस्सा करती।
अदब -कायदा सिखाते- सिखाते,
पढ़ाई का पाठ पढ़ाते -पढ़ाते,
कभी गुस्सा कभी प्यार जताती।
और कभी मां दुर्गा बन कर,
कलछी को हथियार बनाती।
हम पीछे ना रह जाए जग में,
अपना जी और जान लुटाती।
मेरी प्यारी मां अपने कुछ अरमान लुटाती।