तुझसे क्या नाता जुड़ा
की हर सकस मैं तू नज़र आया
इतनी भी ना पास आ तू
की मेरे अकेलेपन को तेरी आदत पड़ जाए
गम ए दिल को दर्द की तोह आदत है
पर वहा ए मोहब्बत पहली बार है
सजदा किसका करु पता नहीं
तेरा या उस खुदा का जिसने तुझे बनाया
तुझसे क्या नाता जुड़ा
की हर सकस मैं तू नज़र आया
इतनी भी ना पास आ तू
की मेरे अकेलेपन को तेरी आदत पड़ जाए
गम ए दिल को दर्द की तोह आदत है
पर वहा ए मोहब्बत पहली बार है
सजदा किसका करु पता नहीं
तेरा या उस खुदा का जिसने तुझे बनाया