पहली ही नजर में पूरी हो आस,
ख़त्म हो जैसे बरसों की तलाश।
जिसके वास्ते था मैं बेकरार,
शायद इसे ही कहते हैं प्यार।
प्यार में नज़रों की, ज़ुबाँ होती है,
ख़ामोश हाले-दिल बयां होती है।
बस इंतज़ार हो दीदार-ए-यार,
शायद इसे ही कहते हैं प्यार।
दिल कहे, हां यही है जिंदगानी,
संग जिसके जीवन है बितानी।
जिसके बिना अधूरा हो संसार,
शायद इसे ही कहते हैं प्यार।
प्यार करो तो ताउम्र निभाओ,
प्यार की एक मिसाल बनाओ।
आंखें बंद, जिस पर हो एतबार,
शायद इसे ही कहते हैं प्यार।
देवेश साखरे ‘देव’