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प्रकृति भी रो रही है…

विश्वास रखते हैं पर फिर भी
टूट जाता है
जब कोई जनाजा
सामने से गुजरता है
क्या कमी थी इस जहान में
सब कुछ तो था
इतनी खूबसूरत थी दुनिया
कोरोना का डर ना था
अब तो चंद मिनटों में ही आदमी
सिमटता जाता है
हर रोज किसी का
अपना चला जाता है
जनाजे दफनाने को भी
जमी कम पड़ रही है
प्रकृति भी यह सब देखकर
रो रही है।।

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