हवा में जहर है,
प्रदूषण का कहर है।
सांसों पर बंधी हैं बेड़ियाँ
जी हाँ ये दिल्ली शहर है।
अरुणिमा मद्धम हुई है,
कौमुदी कुम्हलाने लगी।
तारों की रौशनी भी
अब तो धुंधलाने लगी।
हर पहर कोहरे का कहर है,
जी हाँ ये दिल्ली शहर है।
____✍️गीता कुमारी
हवा में जहर है,
प्रदूषण का कहर है।
सांसों पर बंधी हैं बेड़ियाँ
जी हाँ ये दिल्ली शहर है।
अरुणिमा मद्धम हुई है,
कौमुदी कुम्हलाने लगी।
तारों की रौशनी भी
अब तो धुंधलाने लगी।
हर पहर कोहरे का कहर है,
जी हाँ ये दिल्ली शहर है।
____✍️गीता कुमारी