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प्रेम का सागर

उसकी आँखों में झलकता है,
उसके दिल मे बसे सागर का चेहरा !!

दुःख की उद्दंड लहरें अक्सर छूकर,
भिगोती रहती हैं पलकों के किनारों को !!

उस सागर की गहराई में बिखरे हैं,
बीते हुए लम्हों की यादों के लाखों मोती !!

वो सागर है प्रेम का मगर अधूरी उसकी प्यास है,
एक राह से भटकी नदिया से मिलन की उसको आस है!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(03/10/2020)

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