उलझन भड़ी ज़िन्दगी को सरल लिख रहा हूँ।
तुम्हारे प्यार को ज़ुबान -ए-गजल लिख रहा हूँ।।
एक गुनगुनाहट भड़ी आवाज़ देकर ऐ प्रीतम
तेरी वफाओं के दास्तान -ए-फजल लिख रहा हूँ।।
उलझन भड़ी ज़िन्दगी को सरल लिख रहा हूँ।
तुम्हारे प्यार को ज़ुबान -ए-गजल लिख रहा हूँ।।
एक गुनगुनाहट भड़ी आवाज़ देकर ऐ प्रीतम
तेरी वफाओं के दास्तान -ए-फजल लिख रहा हूँ।।