फ़ासले देवेश साखरे 'देव' 4 years ago गमे-जुदाई किसी से बाँटी नहीं जाती। बगैर तेरे ये रातें अब काटी नहीं जाती। मिटा दो फ़ासले, जो हमारे दरम्यान है, गहरी कितनी खाई, जो पाटी नहीं जाती। देवेश साखरे ‘देव’