रिश्तों की उधेड़ बुन में खुद को ही सिलना भूल गया,
सबसे मिलने की चाहत में खुद से मिलना भूल गया,
बचा नहीं कोई फूल खिले सब मेरी ही फुलवारी के,
एक मैं जाने कैसे देखो खुद ही खिलना भूल गया।।
राही अंजाना
रिश्तों की उधेड़ बुन में खुद को ही सिलना भूल गया,
सबसे मिलने की चाहत में खुद से मिलना भूल गया,
बचा नहीं कोई फूल खिले सब मेरी ही फुलवारी के,
एक मैं जाने कैसे देखो खुद ही खिलना भूल गया।।
राही अंजाना