फुलवारी राही अंजाना 5 years ago रिश्तों की उधेड़ बुन में खुद को ही सिलना भूल गया, सबसे मिलने की चाहत में खुद से मिलना भूल गया, बचा नहीं कोई फूल खिले सब मेरी ही फुलवारी के, एक मैं जाने कैसे देखो खुद ही खिलना भूल गया।। राही अंजाना