अनजान रस्तों पर उनसे यूँ मुलाक़ात हो गई,
बिन मौसम जैसे उस एक रोज़ बरसात हो गई,
बादल, आसमाँ, हवाओं सबकी साज़िश थी मानो,
दो दिलों को मिलाने को साथ कायनात हो गई।।
राही (अंजाना)
अनजान रस्तों पर उनसे यूँ मुलाक़ात हो गई,
बिन मौसम जैसे उस एक रोज़ बरसात हो गई,
बादल, आसमाँ, हवाओं सबकी साज़िश थी मानो,
दो दिलों को मिलाने को साथ कायनात हो गई।।
राही (अंजाना)