Site icon Saavan

बर्फ़ गिर रहा है

बर्फ़ गिर रहा है
सर्द चमन में निशा के तम में
कोई सड़क पर रो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
निल गगन में, बिना ओट के
कोई सड़क पर सो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
कोई दरिद्र, फटे कम्बल में
अपनी लाचारी, अपनी स्वाभिमानी में
अपने जीवन का भार ढो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
गरीब के फूल बिखरे है नग्न धारा पे
अपने फूलों को छिपा गुलदस्ते में
खुद महलों में चैन से सो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
जीवन यापन , ओस की बूंदों में
इन ओस की बूंदों को और चाट रहा है
ग़रीब का बच्चा प्यास से रो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
शिवराज खटीक

Exit mobile version