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बस छोटी सी ख्वाइश

बस इतनी सी ख्वाइश है
जैसे आज मिले हो, हर बार यूं ही मुस्कुरा कर मिलोगे क्या

दौलत शोहरत ज्यादा मिले ना मिले
एक ही घर में मां पिताजी के साथ रहोगे क्या

ये गुलाब किताबों के बीच पड़ा सूख जाएगा
मगर फिर भी पास रखोगे क्या

पूरी दुनियां तो घूमनी नही मुझे
एक बार बस केदारनाथ साथ चलोगे क्या

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