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— बस यूँ ही

कारण या तो मेरा अहम् था – या मेरा बहम था,

अपनों से दूर होता गया मै  बस यूँ ही .

पता नहीं था कि कीमत चेहरों की होती है ,

मै अपने दिल को साफ़ रखता रहा बस यूँ ही .

वक़्त मेरे हिसाब से ना चलाना था – ना चला कभी,

मुगालते में महँगी घडी का –

पालता रहा शौक में बस यूँ ही .

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