बहन तुम माँ तो नही,
पर हो माँ से भी प्यारी।
पग-पग पर इतना साथ मिला,
मैं भूल गया देवत्व सारी।
बहन तुम माँ ……..
अंगुली पकड़कर चलना सिखाया तुमनें
हर बार गिरने पर उठाया तुमनें।
जख्म जैसें भी था,
हमेशा मरहम लगाया तुमनें।
बहन तुम माँ ……..
भले ही तुम भुखी सोईं,
पर मुझे भरपेट खिलाया तुमनें।
निरक्षर रही तुम आजीवन,
पर मुझे एम.ए. कराया तुमने।
बहन तुम माँ ……..
तेरे ऋण से ऋणी,
हैं मेरा कण-कण सारा।
चैन नही जब तक मिटा दूँ,
तेरे दु:ख का अंधियारा।
बहन तुम माँ ……..