क्यों लुटती हुई जिन्दगानी
मिली है
क्यों हर नब्ज़ आज
पानी से भरी है
बहुत रो लिये हम
अंधेरों में जाकर
क्यों हमको ये पीर की निशानी मिली है
ना आँखों में अब रह गये
बाकी आँसू
क्यों वेदना की ये सूरत
पुरानी मिली है???
बहुत रो लिये हम अंधेरों में जाकर..
