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बहुत हो गया अब

लफ्जों को कविता में
पिरोते जा रहे हैं
जज्बातों को सहेज कर
रखते जा रहे हैं ।
बहुत हो गया अब
मरने का सामान
चलो छोड़ दिया तुम्हें
अब जीने जा रहे हैं

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