बहुत हो गया अब Pragya 4 years ago लफ्जों को कविता में पिरोते जा रहे हैं जज्बातों को सहेज कर रखते जा रहे हैं । बहुत हो गया अब मरने का सामान चलो छोड़ दिया तुम्हें अब जीने जा रहे हैं