मैं बहोत खूब जानता हूँ उसे,
खुद से जादा ही मानता हूँ उसे
वो कहीं भी ढूढ़ता नहीं मुझको,
मैं ख्वाबो में भी छानता हूँ उसे।।
राही अंजाना
मैं बहोत खूब जानता हूँ उसे,
खुद से जादा ही मानता हूँ उसे
वो कहीं भी ढूढ़ता नहीं मुझको,
मैं ख्वाबो में भी छानता हूँ उसे।।
राही अंजाना