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बाँस की तरह

बाँस की तरह सदा
तना रहता हूँ
मुश्किलों के आगे भी
नहीं झुकता हूँ
पवन के झोंको के थपेड़े खाकर
अनर्गल वार्तालाप और
प्रपंच में फंस कर
कई बार रोया हूँ
कई बार टूटा हूँ,
अपना चैन खोकर
बड़ी जोर से रो कर
सुकून पाया हूँ
किसी और का होकर।

•••अब जान गया हूँ और मान गया हूँ
मैं हृदय हूँ तेरा पर किसी और के लिए धड़कता हूँ।।

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