बारिश की पहली बूंद सी
सुकून दे जाती तू
इस तपती धरती को
जीने के और मौके दे जाती तू
लाखों वजूहात थे नफ़रतें थी
सब धूल गए
अब बस तुझमे घुल जाने को दिल करता है
बारिश के तेरे उस सहलाब मैं खो जाने को दिल करता है
पहली बारिश की तरह
आज भी तेरी आस देखता हूँ
अपने आप में खुशनुमा तोह एक स्वांग है
आज भी तेरी राह देखता हूँ