बारिश की चन्द बूंदों ने मेरा घर ढूंढ ही लिया,
भिगाया मुझे और मेरे एहसासों को चूम ही लिया,
सूखा पड़ा था मेरे आँगन का जो कोना कभी,
आज मेरे दिल संग मन का आँचल छू ही लिया।
राही (अंजाना)
बारिश की चन्द बूंदों ने मेरा घर ढूंढ ही लिया,
भिगाया मुझे और मेरे एहसासों को चूम ही लिया,
सूखा पड़ा था मेरे आँगन का जो कोना कभी,
आज मेरे दिल संग मन का आँचल छू ही लिया।
राही (अंजाना)