हम अपनी रातों को गुलजार ना बैठे थे
किसी बेवफा को अपना यार बना बैठे थे।
सूंघ के देखा तो खुशबू तक नहीं आई,
बासी फूलों से हम हार बना बैठे थे।
हम अपनी रातों को गुलजार ना बैठे थे
किसी बेवफा को अपना यार बना बैठे थे।
सूंघ के देखा तो खुशबू तक नहीं आई,
बासी फूलों से हम हार बना बैठे थे।