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बिजली चले जाने पर हम

बिजली चले जाने पर हम
रात चांद के तले बिताते हैं
क्रंक्रीट की छत पर
बैठ हम प्रकृति को कोसते हैं
हवाओं से मिन्नते करते
शहरों की छतों पर
तपती गरमी में नई सभ्यता रचते
दौड़ जाती हमारी आवेषों में बिजली
कंदराओं के मानव
आग की खोज में इतरा रहा था
एडिषन एक बल्ब में इतना परेषान था
हम उस बिजली के लिए शहरों में
तपते छतों में
इतिहास नहीं बने
हवाओं के बहने और पानी के बरसने में
हमने रूकावटे खड़ी कर दी
क्रंक्रीट की छतों और छज्जों में
कोसते हम प्रकृति को
और चांद देखता छतों पर
अपनी ओर बढते इंसानी कदमों पर
रोकने की सोच में डूबा
हम अपनी छतों पर सोचते
चांद पर क्या होगा?
मन में बिजली-सी कौंध जाती
छतों पर गरमी में तपते हम।

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