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बिटिया

माँ की सबसे अच्छी सहेली
पिता की हर ज़रूरतों का ख़्याल
बिटिया के बिना सब अधूरा
इसके जैसा कहाँ कोई मिशाल ।
भाई की हर घङी हिमायत करने वाली
बात -बात में, ठुनक कर लङाई करने वाली
रूठकर फिर खुद-से खुद ही मान जाने वाली
कौन रखे हर छोटे-बड़े का ख्याल ।
ज़िद करती पर समझ कर मान भी जाती
कभी पापा की तो कभी माँ का पक्ष लेती
इसके रहने से ही आधा हो जाता भार
इसका स्थान कहाँ, है बङा सवाल ।
जन्म लेते ही किलकारियों से मोह लेती
पायल की झुनकियो से झकझोर देती
कंगनी की रूनझुन सन्नाटो को तोङ देती
काले टीके से सुशोभित, इसका भाल।

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