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बुलंदों की हुड़दंग

जब देश में रंगा बसंती चोला था।
तब अंग्रेजी शासन भी डोला था।।
महासंग्राम की जब आई घड़ी।
सभी के दिलो में तब, शोला ही शोला था।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सभी एक साथ।
चीख चीख कर, आज़ादी आज़ादी बोला था।।
कहीं भाइयों की कुर्बानी, तो कहीं बेटों की कुर्बानी।
उस समय भी माँ की हाथो में, आज़ादी का झोला था।।
सुन ले ए दुश्मन, ईंट के जवाब हम पत्थर से देंगे ।
सभी हिन्दुस्तानी, छाती ठोक ठोक कर बोला था।।
नहले पे दहले फेंकना, हमने तुझ से ही सीख लिया।
हमारी एकता ही तेरे लिए ,बना बम का गोला था।।

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